सीमा जी, मुझे खेद है की आपको कुछ गलतफ़हमी हुई है...
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कम्माल की लेखनी है आपकी | मैं आपसे सहमत हूँ ………..!!!!!! मुझे खेद है की मैंने अपने ब्लॉग को ये नाम दिया …….
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मुझे खेद है की आप ऐसी मानशिकता का समर्थन कर रहे हैं, और यहाँ पे बवाल श्रीप्रकाश जैसवाल के कमजोर मानसिकता पे हुआ है.
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मुझे खेद है की “ अमिताभ बच्चन और मैं ” की रचना करते वक़्त मेरे पास इस ब्लॉग की उपलब्धता नहीं थी, जिसके कारण मुझे रोमन फोंट्स में हिंदी लिखनी पड़ी।
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बाकी मुझे खेद है की आपने मेरी खुद की कहानी जो की मै कई दिनों से लगातार कई दिनों से कड़ियों में पेश कर रहा हूँ आपने नहीं पढ़ा … जरूर पढ़े ….
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कर दी सचिन की एसी कोई बड़ी पारी बताओ जिसमे देश के लिये कोई बड़ा कप जीता हो अपने लिये तो सब खेलते है देश के लिये ए कभी नही खेला मुझे खेद है की एसए खिलाडी (ध्यानचंद) को पेहले भारत रत्न दिया जाना चाहिये जिसके खेल की कला हमेशा देश का नाम रोशन किया
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आप एक नम्बर के अच्छे और बढ़िया रचनाकार है जो की आपने अभी उप्पर अपनी रचना के माध्यम से दिखा दिया....बाकी मुझे खेद है की आपने मेरी खुद की कहानी जो की मै कई दिनों से लगातार कई दिनों से कड़ियों में पेश कर रहा हूँ आपने नहीं पढ़ा...जरूर पढ़े....कमेन्ट मत दे...बस इतना लिख दें की पढ़ लिया....हा हा हा......